Wednesday 6 June 2018

50 हजार में करें टी-शर्ट प्रिंटिंग बिजनेस, 40 हजार महीने तक हो सकती है इनकम

नई दिल्‍ली। इनकम बढ़ाने के लिए अगर आप अपने घर में ही कोई बिजनेस करने की सोच रहे हैं तो आपके लिए स्‍मॉल स्‍केल में टी-शर्ट प्रिंटिंग बिजनेस काफी फायदेमंद हो सकता है। प्रिंटेड टी-शर्ट की इन दिनों बाजार में काफी डिमांड है। कुछ लोग अपने हिसाब से भी टी-शर्ट को‍ प्रिंट करवाकर पहनना पसंद करते हैं। आप उनकी जरूरत के हिसाब से इन्‍हें कस्‍टमाइन कर सकते हैं। स्‍कूल, कंपनियों व अन्‍य संस्‍थाओं में कई मौके पर विशेष टी-शर्ट प्रिंट करवाई जाती हैं। कुल मिलाकर इस बिजनेस में काफी संभावनाएं हैं। खास बात यह है कि यह बिजनेस बहुत ही कम पूंजी के साथ और घर में ही शुरू किया जा सकता है। जानकारों की माने तो केवल 50 से 70 हजार रुपए के इन्‍वेस्‍टमेंट से ही आप शुरुआती स्‍तर पर 30 से 40 हजार रुपए महीना कमा सकते हैं।

इसके अलावा अगर आप इसमें सफल हो जाते हैं तो अपने इन्‍वेस्‍टमेंट को बढ़ाकर अपने बिजनेस का दायरा भी बढ़ा सकते हैं। इसके बाद आपकी इनकम भी लाखों रुपए महीना से करोड़ों रुपए साल तक में भी पहुंच सकती है। आईए आपको बताते हैं इस बिजनेस के इन्‍वेस्‍टमेंट और इनकम की बारे में....

50 हजार रुपए से शुरू हो सकता है काम
टी-शर्ट प्रिंटिंग कारोबार को करने के लिए आपको बहुत बड़े इन्‍वेस्‍टमेंट की जरूरत नहीं पड़ती है। मार्केट-एक्‍सपर्ट कंस्‍लटेंट सर्विस के मैनेजर विवेक गुप्‍ता ने moneybhaskar.com को बताया कि इस बिजनेस को महज 50 से 70 हजार रुपए लगाकर किया जा सकता है। इसमें कुछ प्रिंटर, हीट प्रेस, कंप्‍यूटर, कागज व रॉ मटेरियल के रूप में टी-शर्ट चाहिए होती हैं। इस कारोबार को अगर आप बहुत बड़े स्‍तर पर करना चाहते हैं तो आप 5 से 6 लाख रुपए भी इन्‍वेस्‍टमेंट कर सकते हैं।

ये पूरी जानकारी
आइटमखर्च (रुपए में)
टी-शर्ट प्रिंटिंग मशीन(हीट प्रेस)11,999
टेफलॉन शीट (2)800
सब्‍लीमेशन पेपर प्रिंट के लिए पेपर (100)300
805 प्रिंटर16,800
इंक प्रिंटर2,100
प्‍लेन टी-शर्ट (100)10,000
कंप्‍यूटर25,000
कुल66,999
(नोट:यदि आपके पास कंप्‍यूटर या लैपटॉप पहले से है तो आप 25 हजार रुपए कम कर सकते हैं।)

केवल 70 सेकेंड में तैयार होती है टी-शर्ट
टी-शर्ट प्रिंट करने के लिए जिस मशीन की जानकारी दी गई है यह मैन्‍युअल मशीन है। इस मशीन से एक टी-शर्ट 70 सेकेंड में तैयार की जा सकती है। इसके लिए सबसे पहले आपको 805 प्रिंटर से सब्लिमेशन पेपर पर डिजाइन का प्रिंट निकालना होगा। यह रबर इंक से तैयार किया जा जाता है। इसके बाद टी-शर्ट प्रिंटर जो कि एक हीट प्रेस की तरह होता है उस पर टेफलॉन शीट रखी जाती है। टेंपरेचर सेट करने के बाद इसके ऊपर टी-शर्ट और फिर सब्लिमेशन पेपर (डिजाइन प्रिंट किया हुआ) रखा जाता है। 70 सेकेंड बाद प्रेस को हटा लिया जाता है और टी-शर्ट प्रिंट हो जाती है।
 
हर महीने 30 से 40 हजार की कमाई
मार्केट-एक्‍सपर्ट कंस्‍लटेंसी सर्विसेज के अनुसार एक टी-शर्ट को प्रिंट करने के लिए लगभग 20 से 30 रुपए का खर्च आता है। यह मैन्‍युअल मशीन में आने वाला खर्च है जबकि अगर आप ऑटोमैटिक डिजिटल प्रिंटिंग मशीन रखते हैं तो इसमें यह खर्च और भी कम होता है। बाजार में प्‍लेन टी-शर्ट को प्रिंट करने के 150 से 200 रुपए चार्ज किए जाते हैं। इसके साथ ही किसी स्‍कूल, कॉलेज, या बड़े फंक्‍शन में बड़ी संख्‍या में टी-शर्ट प्रिंट करवाकर मंगाई जाती है तो इस पर बाजार में लगभग 50 से 60 रुपए लिए जाते हैं। इस तरह अगर आप महीने में 600 टी-शर्ट का ऑर्डर भी पूरा करते हैं और एक टी-शर्ट पर आप 20 रुपए का प्रोफिट भी लेते हैं तो आपकी कमाई 30 हजार रुपए हेा जाती है। जबकि, बड़े ऑर्डर जिसमें हजारों की संख्‍या में टी-शर्ट पहुंचानी होती हैं तो आपकी यह इनकम बढ़ भी जाती है। 

एक्सीडेंट के बाद भी नहीं मानी हार, 6200 रु से खड़ा किया 62 Cr. का बिजनेस

नई दिल्ली. कहते हैं कि अगर हुनर के साथ मेहनत करने की लगन है तो आप अपनी किस्मत खुद बदल सकते हैं। बहुत से लोग जीवन में आई कठिनाइयों को अपनी किस्मत मान लेते हैं और उनकी पूरी जिंदगी परेशानी में ही बीत जाती है। हालांकि कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो अपनी लगन और मेहनत से अपनी कि‍स्मत खुद तय करते हैं। ऐसे ही कुछ लोगों में से एक हैं दिनेश गुप्‍ता, जो अपने जीवन में आई परेशानियों से घबराए नहीं और अपना एक मुकाम खड़ा किया। उन्होंने महज 6200 रुपए से बिजनेस अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर ‘बिजी’ की शुरुआत, जिसका टर्नओवर आज 62 करोड़ रुपए है। आइए जानते हैं उनकी सफलता के बारे में..

एक्‍सीडेंट के चलते बैठ गए थे घर
बिजी इंफोटेक के फाउंडर डायरेक्‍टर दिनेश गुप्ता ने मनीभास्कर को बताया कि उन्होंने इंजीनियरिंग कॉलेज से बी-टेक की डिग्री हासिल की थी। बी-टेक करने के बाद उन्‍हें दिल्‍ली में एक आईटी कंपनी के रिसर्च एंड डेवलपमेंट विभाग में नौकरी मिल गयी। उन्‍होंने नौकरी में मन लगाकर काम तो किया, लेकिन उनका सपना कुछ और था। उनमें शुरू से ही जीवन में कुछ बड़ा करने की चाहत थी। नौकरी करने के दौरान उन्‍होंने कई बार कोशिश की कि वह कुछ समय निकालकर खुद के बिजनेस शुरू करने पर ध्यान दें। हालांकि नौकरी से उन्‍हें इतना समय ही नहीं मिल पाता था। उसी दौरान गुप्‍ता एक सड़क दुर्घटना में बुरी तरह जख्‍मी हो गए और 4-5 महीने के लिए वह बिस्‍तर पर आ गए। इससे उबरने के दौरान ही उन्होंने भविष्‍य की योजनाओं का खाका तैयार किया।

6,200 रुपए से की शुरुआत
इस दौरान गुप्‍ता अपना ज्‍यादातर समय कम्प्यूटर पर बिताते थे। कम्प्यूटर पर बढ़ती निर्भरता से उन्‍होंने यह तय किया कि वह इससे जुड़ा कुछ काम करेंगे। उनकी प्‍लानिंग कस्‍टमाइज्‍ड सॉफ्टवेयर बनाने की थी। उनकी इस योजना में सहयोगी बने उनके छोटे भाई। अपने भाई के साथ मिलकर उन्‍होंने एक रिश्‍तेदार के घर से बिजनेस की शुरुआत अपने की। इसके बाद उन्‍होंने दिल्ली के पीतमपुरा इलाके में करीब 2,000 रुपए मंथली किराए पर एक फ्लैट लिया। घर में रखा एक पुराना कम्प्यूटर और ऑफिस के लिए जरूरी कुछ सामान जैसे कुर्सी-टेबल आदि। गुप्‍ता के अनुसार इस सबकी कीमत तब कुछ 6,200 रूपए के आसपास थी।


पहली कोशिश गई बेकार
कई महीनों के प्रयासों के बाद उन्‍हें सफलता की पहली किरण तब नजर आई जब उन्‍हें मलेशिया की एक रेस्‍त्रां चेन चलाने वाली कंपनी से कस्‍टमाइज्‍ड सॉफ्टवेयर बनाने का ऑर्डर और एडवांस मिले। अलबत्‍ता एक साल बाद यानी जब सॉफ्टवेयर की डिलीवरी का समय आया तब कंपनी ने इसे लेने व बकाया पेमेंट देने से इनकार कर दिया। इस शुरुआती असफलता से गुप्‍ता निराश तो हुए, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।  इस दौरान यानी 1993 में उन्‍होंने बिजी अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर बनाया। सॉफ्टवेयर तो बन गया था, लेकिन समस्‍या थी इसे बेचने की। मार्केट में तब पहले से ही एक अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर प्रचलन में था और वह सॉफ्टवेयर विश्‍वसनीय तरीके से काम भी कर रहा था। ऐसे में एक नए अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर को बेच पाना टेढ़ी खीर थी।

खोजा बिजनेस को इजी बनाने का फॉर्मूला
ए‍क बार फिर निराशा की स्थिति आने वाली थी कि गुप्‍ता और उनके भाई ने एक अंतिम प्रयास के रूप में उपभोक्‍तओं से मिलकर उनकी अकाउंटिंग जरूरतों को जाना। इस प्रयोग ने उन्‍हें उनकी मंजिल का रास्‍ता दिखा दिया। उपभोक्‍ताओं को एक ऐसे सॉफ्टवेयर की तलाश थी, जो अकाउंटिंग के साथ-साथ उनका बिजनेस मैनेज करने और सेल्‍स टैक्‍स रिपोर्ट व इनवॉइस आदि बनाने में भी उनकी मदद कर सके। फिर क्‍या था। उक्‍त फीचर्स के साथ उन्‍होंने ‘बिजी’ का नया वर्जन मार्केट में उतारा तो उपभोक्‍ताओं ने उसे हाथों-हाथ खरीद लिया। यह नया सॉफ्वेयर अकाउंट के साथ-साथ इनवेंटरी, इनवॉयस और सेल्‍स टैक्‍स रिपोर्ट भी जैनरेट करता था। देखते ही देखते 1997 में बिजी इन्‍फोटेक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रूप में रजिस्‍टर्ड हुई और इसके उपभोक्‍ताओं की संख्‍या बढती गई।


20 देशों में हैंं कंपनी के ग्राहक
गुप्‍ता ने बताया कि आज कंपनी के लाखों ग्राहक हैं और लगभग 150 कर्मचारी कंपनी में कार्य कर रहे हैं। यही नहीं, भारत के अलावा दक्षिण-एशिया, अफ्रिका और मिडल ईस्‍ट के 20 से ज्‍यादा देशों में कंपनी के ग्राहक हैं। अकाउंटिंग जैसे जटिल विषय को आसान करना उनका मुख्य उद्देश्य है।