तरुण शर्मा और गुरविंदर सिंह एक ही कंपनी में काम करते थे। दोनों की ही सोच थी कि कुछ ऐसा काम किया जाए जो लोगों की समस्या को हल करे और उनके मनमुताबिक काम हो।
तरुण के पिता पार्किंसन की बीमारी से जूझ रहे थे तो गुरविंदर के कुछ रिश्तेदार डायबिटीज से। तरुण को अपने पिता को पीजीआई में दिखाने के लिए आफिस से छुट्टी लेनी पड़ती थी। इसलिए उनके मन में सवाल उठा कि क्यों न ऐसा कोई सिस्टम हो कि उनके पिता या अन्य किसी को दिखाने के लिए अस्पताल का चक्कर ही लगाना न पड़े।
अब उनके समस्या थी कि यदि सभी बीमारियों को लेकर कुछ काम किया जाएगा तो उसका सफल होना काफी मुश्किल होगा। ऐसे में उन्होंने एक बीमारी पर ही फोकस किया। उन्होंने जब सर्वे किया तो पता चला कि डायबिटीज का प्रीवलेंस काफी अधिक है। इसीलिए उन्होंने डायबिटीजी नाम का एक मोबाइल एप्लीकेशन लांच किया। जो घर बैठे मरीजों को ब्लड प्रेशर और वेट कंट्रोल करने में मदद करता है।
वाट्सअप की तरह डायबिटीजी के कस्टमर भी चैट के माध्यम अपने डाक्टर और न्यूट्रीशियन से कभी भी संपर्क कर सकते हैं। हालांकि अभी ये उपलब्धता 24 घंटे के लिए है, लेकिन अब यह 24 घंटे के लिए होने जा रहा है। पूरे दिन मरीज ने क्या-क्या खाया कितनी एनर्जी बर्न की इसका रिमाइंडर पल-पल मिलता रहेगा। इससे मरीज ज्यादा सजग रहते हैं। इसके अलावा कई मेडिकल डिवाइस और पैकेज की सुविधा है, जो कहीं नहीं मिलती।
कंपनी को शुरूआत हुए कुछ ही दिन हुए लेकिन उसके यूजर्स की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है। तीन महीने के भीतर 1300 से ज्यादा यूजर्स मिल गए हैं। आइडिए को देखते हुए फंडिंग भी मिल रही है।
वेंचर्स कैपिटिलिस्ट की ओर से उन्हें फंडिंग मिली है। कई फ्रेंडली फ्रेंड भी कंपनी में इन्वेस्ट कर रहे हैं। जबरदस्त रिस्पांस को देखते हुए डायबिटीजी को अन्य शहरों में भी लांच करने की तैयारी चल रही है। कंपनी की प्लानिंग है कि इसे विदेशों में भी लांच किया जाए।
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